- Acharya Pandit Devendra Upadhayay | Ujjain
- devendragurujiujjain@gmail.com
- +91 7974401975
जब कुंडली में बाकी के ग्रह राहु और केतु के मध्य आ जाते तो इस संदोष को ही कालसर्प दोष कहते है।
कुंडली में मंगल के दुश प्रभावों के कारण जातक के विवाहित जीवन पर बुरा असर पड़ने लगता है तो उसे हम मांगलिक दोष के नाम से जानते है !
मंगलदोष एक प्रमुख दोष माना जाता रहा है हमारे कुंडली के दोषों में, आजकलके शादी-ब्याह में इसकी प्रमुखता देखि जा रही है
देवी के दस महाविद्या स्वरुप में से एक स्वरुप माँ बगलामुखी का है. इन्हें पीताम्बरा और ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है.
पितरों से अभिप्राय व्यक्ति के पूर्वजों से है . जो पित योनि को प्राप्त हो चुके है
महामृत्युंजय मंत्र वेदों में सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद का एक श्लोक है जो की भगवान शिव के मृत्युंजय स्वरुप को समर्पित है,
जीवन में जब कष्टों के लगातार आना और पूरा जीवन संघर्षपूर्ण दिखाई देना, इस बात का सबूत देता है कि आपके ग्रह –नक्षत्र अशान्त है.
मगुरु ज्ञान एवं बुद्धि प्रदान करता है तो वहीं राहु छाया ग्रह है जो सदा अनिष्ट फल देता है। माना जाता है कि बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं और राहु राक्षसों के गुरु हैं
रुद्राभिषेक करके आप शिव से मनचाहा वरदान पा सकते हैं. क्योंकि शिव के रुद्र रूप को बहुत प्रिय है आइए जानते हैं, रुद्राभिषेक क्यों है इतना प्रभावी और महत्वपूर्ण है
अक्सर हम महसूस करते हैं कि घर में क्लेश रहता है या फिर हर रोज कोई न कोई नुक्सान घर में होता रहता है।
लाल किताब ज्योतिष की पारम्परिक प्राचीतम विद्या का ग्रंथ है। उक्त विद्या उत्तरांचल और हिमाचल क्षेत्र से हिमालय के सुदूर इलाके तक फैली थी।
शनि देव् को कर्मफलदाता माना गया है जो मनुष्य को उसके कर्मो के अनुसार अच्छा या बुरा फल प्रदान करते है इसलिए हमें हमेशा अच्छे कर्मो को करना चाहिए